क़सम उठाना, नज़र मानना और कफ़्फ़ारा
986. “ काएनात के मामलों में केवल अल्लाह तआला की इच्छा काम करती ”
987. “ केवल अल्लाह तआला की क़सम उठानी चाहिए ”
988. “ क़सम देने वाले की क़सम पूरी न करना ”
989. “ अल्लाह तआला के सिवा किसी और की क़सम उठाना मना है ”
990. “ अमानत की क़सम उठाना मना है ”
991. “ झूठी क़सम का नुक़सान झूठी क़सम के माध्यम से दुनिया का लाभ उठाना चतुराई नहीं बोझ है ”
992. “ क़सम तोड़ने और नज़र पूरी न करने का कफ़्फ़ारह ”
993. “ मानी हुई बुरी नज़र को छोड़ देना और उस का कफ़्फ़ारह ”
994. “ किस तरह की नज़र मानी जाए ”
995. “ नज़र में कोई जगह तय करना और उसकी शर्त ”
996. “ नज़र के प्रकार और मकरूह नज़र ”
997. “ तकलीफ़ में डालने वाली बेकार की नज़र से बचना चाहिए ”

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سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
الايمان والنذور والكفارات
قسموں، نذروں اور کفارات کا بیان
क़सम उठाना, नज़र मानना और कफ़्फ़ारा
نذر کی اقسام اور معلق نذر کا مکروہ ہونا
“ नज़र के प्रकार और मकरूह नज़र ”
حدیث نمبر: 1424
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" قال الله عز وجل: لا ياتي النذر على ابن آدم بشيء لم اقدره عليه، ولكنه شيء استخرج به من البخيل يؤتيني عليه ما لا يؤتيني على البخل. وفي رواية: ما لم يكن آتاني من قبل".-" قال الله عز وجل: لا يأتي النذر على ابن آدم بشيء لم أقدره عليه، ولكنه شيء أستخرج به من البخيل يؤتيني عليه ما لا يؤتيني على البخل. وفي رواية: ما لم يكن آتاني من قبل".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ تعالیٰ نے فرمایا: نذر ابن آدم کو وہ چیز نہیں دلاتی، جو میں نے اس کے مقدر میں نہ لکھی ہو۔ نذر ایک ایسی چیز ہے کہ میں جس کے ذریعے بخیل سے مال نکال لیتا ہوں۔ وہ اس کی وجہ سے مجھے (مال) دیتا ہے جو (عام حالات میں) وہ بخل کی وجہ سے نہیں دیتا۔ اور ایک روایت میں ہے: جو اس نے اس سے پہلے مجھے نہیں دیا تھا۔

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