الحمدللہ! انگلش میں کتب الستہ سرچ کی سہولت کے ساتھ پیش کر دی گئی ہے۔

 
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
ایمان توحید، دین اور تقدیر کا بیان
तौहीद पर ईमान, दीन और तक़दीर
85. اخلاص، قبولیت عمل کی بنیادی شرط ہے
“ अल्लाह के लिए नियत करना कर्म स्वीकार होने का आधार बनती है ”
حدیث نمبر: 145
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" إن الله يقول: انا خير شريك، فمن اشرك بي احدا فهو لشريكي! يا ايها الناس! اخلصوا الاعمال لله، فإن الله عز وجل لا يقبل من العمل إلا ما خلص له، ولا تقولوا: هذا لله وللرحم وليس لله منه شيء! ولا تقولوا: هذا لله ولوجوهكم، فإنه لوجوهكم، وليس لله منه شيء".-" إن الله يقول: أنا خير شريك، فمن أشرك بي أحدا فهو لشريكي! يا أيها الناس! أخلصوا الأعمال لله، فإن الله عز وجل لا يقبل من العمل إلا ما خلص له، ولا تقولوا: هذا لله وللرحم وليس لله منه شيء! ولا تقولوا: هذا لله ولوجوهكم، فإنه لوجوهكم، وليس لله منه شيء".
سیدنا ضحاک بن قیس رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: بے شک اللہ فرماتا ہے: میں بہتریں حصہ دار ہوں اور وہ اس طرح جو میرے ساتھ کسی کو حصہ دار بنائے گا، میں اپنا سارے کا سارا حصہ اپنے حصے دار کو دے دوں گا (اور خود کچھ نہیں لوں گا)۔ لوگو! اللہ تعالی کے لئے خالص عمل کرو، کیونکہ اللہ تعالی وہی عمل قبول کرتا ہے جو خالص اسی کے لئے کیا گیا ہو۔ یہ نہ کہا کرو: یہ اللہ تعالی کے لئے ہے اور یہ رشتہ و قرابت کے لئے ہے، ایسی (تقسیم) میں سے اللہ تعالی کے لئے کچھ نہیں ہوتا اور یہ بھی نہ کہا کرو: یہ اللہ کے لئے ہے اور یہ جناب کے لئے ہے، کیونکہ یہ سارے کا سارہ جنابوں کو ہی مل جاتا ہے اللہ تعالی کا اس میں کوئی حصہ نہیں ہوتا۔
हज़रत ज़हाक बिन क़ेस रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “बेशक अल्लाह फ़रमाता है कि मैं सबसे अच्छा भागीदार हूँ और वह इस तरह जो मेरे साथ किसी को भागीदार बनाए गा, मैं अपना सारे का सारा भाग अपने भागीदार को देदूँगा (और ख़ुद कुछ नहीं लूंगा)। लोगो, अल्लाह तआला के लिए ही कर्म करो, क्यूंकि अल्लाह तआला वही कर्म स्वीकार करता है जो केवल उसी के लिए किया गया हो। यह न कहा करो ! यह अल्लाह तआला के लिए है और यह रिश्तेदार और दोस्तों के लिए है, ऐसे (बटवारे) में से अल्लाह तआला के लिए कुछ नहीं होता और यह भी न कहा करो ! यह अल्लाह के लिए है और यह फ़लां आदमी के लिए और यह फ़लां के लिए है, क्यूंकि ये सारे का सारा उन लोगों को ही मिल जाता है अल्लाह तआला का इस में कोई भाग नहीं होता।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2764

قال الشيخ الألباني:
- " إن الله يقول: أنا خير شريك، فمن أشرك بي أحدا فهو لشريكي! يا أيها الناس ! أخلصوا الأعمال لله، فإن الله عز وجل لا يقبل من العمل إلا ما خلص له، ولا تقولوا: هذا لله وللرحم وليس لله منه شيء! ولا تقولوا: هذا لله ولوجوهكم ، فإنه لوجوهكم، وليس لله منه شيء ".
‏‏‏‏_____________________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه عبد الباقي بن قانع في ترجمة الضحاك بن قيس الفهري من " معجم الصحابة "،
‏‏‏‏قال: حدثنا أحمد بن محمد بن إسحاق: أخبرنا سعيد بن سليمان عن عبيدة بن حميد
‏‏‏‏عن عبد العزيز بن رفيع عن تميم بن سلمة عن الضحاك بن قيس قال: قال رسول
‏‏‏‏الله صلى الله عليه وسلم : فذكره. قلت: وهذا إسناد صحيح، رجاله ثقات رجال "
‏‏‏‏الصحيح " غير أحمد بن
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 624__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏محمد بن إسحاق وهو أبو جعفر البجلي الحلواني، ترجمه
‏‏‏‏الخطيب (5 / 212) وروى توثيقه عن جمع من الحفاظ، توفي سنة (296) . وسعيد
‏‏‏‏بن سليمان هو أبو عثمان الواسطي الحافظ الثقة. وقد تابعه إبراهيم بن محشر:
‏‏‏‏حدثنا عبيدة بن حميد به، إلا أنه قال: " تميم ابن طرفة " مكان " تميم بن سلمة
‏‏‏‏"، لكن إبراهيم هذا فيه ضعف، قال ابن عدي في " الكامل " (1 / 272 - الفكر)
‏‏‏‏. " له منكرات من جهة الأسانيد غير محفوظة ". أخرجه البزار (4 / 217 - 218 /
‏‏‏‏3567) والبيهقي في " الشعب " (2 / 320 / 2) وقال الهيثمي في " مجمع
‏‏‏‏الزوائد " (10 / 221) : " رواه البزار عن شيخه إبراهيم بن مجشر - بالجيم -
‏‏‏‏وثقه ابن حبان وغيره، وفيه ضعف. وبقية رجاله رجال الصحيح ". قلت: ما
‏‏‏‏رأيت أحدا ذكر توثيقه عن غير ابن حبان، ومع ذلك فقد قال فيه: " يخطىء ".
‏‏‏‏فمثله لا يحتج به إذا تفرد، فكيف إذا خالف؟ فالعمدة على سعيد بن سليمان
‏‏‏‏الواسطي في صحة الحديث، وهي فائدة عزيزة استفدتها من " معجم ابن قانع "،
‏‏‏‏وكنت لما ألفت " صحيح الترغيب والترهيب " لم أورده فيه، على الرغم من قول
‏‏‏‏المنذري فيه (1 / 24) : " رواه البزار بإسناد لا بأس به، لكن الضحاك بن قيس
‏‏‏‏مختلف في صحبته ". لأنني عرفت بواسطة " المجمع " أن في سند البزار ذاك الشيخ
‏‏‏‏الضعيف، ولم أكن وقفت على متابعة سعيد هذه القوية، والحمد لله على توفيقه،
‏‏‏‏وأسأله المزيد من فضله.
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 625__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏وأما قوله: إن الضحاك بن قيس مختلف في صحبته،
‏‏‏‏فلعله سبق قلم من المنذري، فإني لم أر أحدا ذكر الخلاف في صحبته، بل قال
‏‏‏‏الحافظ في " الإصابة " بعد أن نقل قول البخاري في " التاريخ " (2 / 2 / 332)
‏‏‏‏" له صحبة ": " واستبعد بعضهم صحة سماعه من النبي صلى الله عليه وسلم ، ولا
‏‏‏‏بعد فيه، فإن أقل ما قيل في سنه عند موت النبي صلى الله عليه وسلم أنه كان ابن
‏‏‏‏ثمان سنين ". ثم وجدت لسعيد بن سليمان الواسطي متابعا ثقة، وهو (سريج بن
‏‏‏‏يونس) : أخبرنا عبيدة بن حميد به. أخرجه ابن عساكر في " تاريخ دمشق " (8 /
‏‏‏‏410) . ولهذا نقل إلى " الصحيح " في آخر طبعته الثانية (ص 530) .
‏‏‏‏¤


http://islamicurdubooks.com/ 2005-2023 islamicurdubooks@gmail.com No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to www.islamicurdubooks.com will be appreciated.