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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
ابتدائے (مخلوقات)، انبیا و رسل، عجائبات خلائق
जगत निर्माण, नबी और रसूलों का ज़िक्र और चमत्कार
2527. یہودیوں کے آپ صلی اللہ علیہ وسلم سے چند سوالات، بچہ تذکیر یا تانیث کے قالب میں کیسے ڈھلتا ہے؟ بادلوں میں کیسے آواز پیدا ہوتی ہے؟
“ यहूदियों ने रसूल अल्लाह ﷺ से पूछा कि बच्चे का रूप मां या बाप पर कैसे जाता है और बादल कैसे गरजते हैं ”
حدیث نمبر: 3882
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" الرعد ملك من الملائكة موكل بالسحاب، (بيديه او في يده مخراق من نار يزجر به السحاب) والصوت الذي يسمع منه زجره السحاب إذا زجره حتى ينتهي إلى حيث امره".-" الرعد ملك من الملائكة موكل بالسحاب، (بيديه أو في يده مخراق من نار يزجر به السحاب) والصوت الذي يسمع منه زجره السحاب إذا زجره حتى ينتهي إلى حيث أمره".
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما کہتے ہیں: یہودی لوگ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آئے اور کہا: اے ابوالقاسم! ہم آپ سے کچھ چیزوں کے بارے سوالات کرنا چاہتے ہیں، اگر آپ نے (‏‏‏‏درست) جوابات دے دیے تو ہم آپ کی پیروی کریں گے، آپ کی تصدیق کریں گے اور آپ پر ایمان لے آئیں گے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے ان سے وہ عہد و پیمان لیا جو اسرائیل (‏‏‏‏یعقوب علیہ السلام) نے اپنے لیے اختیار کیا تھا۔ انہوں نے کہا: جو کچھ ہم کہہ رہے ہیں، اللہ تعالیٰ اس پر محافظ و نگران ہے۔ (‏‏‏‏سوالات کا سلسلہ شروع ہوتا ہے) انہوں نے کہا: ہمیں نبی کی علامت کے بارے میں بتلائیے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: نبی کی آنکھیں سوتی ہیں، لیکن دل نہیں سوتا۔ انہوں نے کہا: عورت کے بطن سے مذکر و مونث کیسے پیدا ہوتے ہیں؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: (‏‏‏‏مذکر مؤنث) کے پانی ملتے ہیں، اگر عورت کا پانی مرد کے پانی پر غالب آ جائے تو مؤنث پیدا ہوتی ہے اور اگر مرد کا پانی عورت کے مادہ پر غالب آ جائے تو مرد پیدا ہو جاتا ہے۔ انہوں نے کہا: رعد (‏‏‏‏بادلوں کی گرج یا کڑک) کے بارے میں ہمیں بتائیے کہ وہ کیا ہے؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ایک فرشتے کا نام رعد ہے، بادلوں کے معاملات اس کے سپرد ہیں، اس کے ہاتھوں میں آگ کی تلوار (‏‏‏‏یا کوڑا) ہوتا ہے، جس کے ذریعے وہ بادلوں کو ا دھر ا‏‏‏‏دھر لے جاتا ہے، اور جب وہ بادلوں کو (‏‏‏‏مخصوص انداز میں ڈانٹ ڈپٹ کر کے) متحرک کرتا ہے، تو اس وقت وہ آواز پیدا ہوتی ہے جو (‏‏‏‏ہمیں) سنائی دیتی ہے، حتیٰ کہ وہ اس مقام تک ان کو پہنچا دیتا ہے، جہاں کا اس کو حکم ہوتا ہے۔
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि यहूदी लोग नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आए और कहा कि ऐ अबु अल-क़ासिम, हम आप से कुछ चीज़ों के बारे पूछना चाहते हैं, यदि आप ने (ठीक) जवाब दे दिए तो हम आप की पैरवी करेंगे, आप की पुष्टि करेंगे और आप पर ईमान ले आएंगे। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन से वह वादा लिया जो इसराईल (यअक़ूब अलैहिस्सलाम) ने अपने लिये चुना था। उन्हों ने कहा कि जो कुछ हम कह रहे हैं, अल्लाह तआला उस पर निगरान है। (सवालों का सिलसिला शुरू होता है) उन्हों ने कहा कि हमें नबी की निशानी के बारे में बताएं। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “नबी की ऑंखें सोती हैं, लेकिन दिल नहीं सोता।” उन्हों ने कहा कि औरत के पेट से नर और मादा कैसे पैदा होते हैं ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “(नर मादा) के पानी मिलते हैं, यदि औरत का पानी मर्द के पानी पर हावी होजाए तो मादा पैदा होती है और यदि मर्द का पानी औरत के पानी पर हावी होजाए तो मर्द पैदा हो जाता है।” उन्हों ने कहा कि “रअद” (बादलों की गरज या कड़क) के बारे में हमें बताएं कि वह किया है ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, “एक फ़रिश्ते का नाम रअद है, बादलों के मामले उसके हवाले हैं, उसके हाथों में आग की तलवार (या कोड़ा) होता है, जिस के माध्यम से वह बादलों को इधर उधर लेजाता है, और जब वह बादलों को (डांट-डपट करके) हिलाता है, तो उस समय वह आवाज़ पैदा होती है जो (हमें) सुनाई देती है, यहां तक कि वह उस मुक़ाम तक उनको पहुंचा देता है, जहां का उसको हुक्म होता है।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1872

قال الشيخ الألباني:
- " الرعد ملك من الملائكة موكل بالسحاب، (بيديه أو في يده مخراق من نار يزجر به السحاب) والصوت الذي يسمع منه زجره السحاب إذا زجره حتى ينتهي إلى حيث أمره ".
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‏‏‏‏أخرجه الترمذي (4 / 129) وأحمد (1 / 274) وأبو إسحاق الحربي في " غريب
‏‏‏‏الحديث " (5 / 123 / 1 - 2) والطبراني في " المعجم الكبير " (رقم 12429)
‏‏‏‏وابن بشران في " الآمالي " (24 / 27 / 2) والضياء المقدسي في " الأحاديث
‏‏‏‏المختارة " (ق 206 - 207) عن عبد الله بن الوليد العجلي عن بكير بن شهاب
‏‏‏‏( ﴿ الكوفي﴾ وليس بالدامغاني) عن سعيد بن جبير عن ابن عباس قال: أقبلت
‏‏‏‏يهود إلى النبي صلى الله عليه وسلم فقالوا: يا أبا القاسم! نسألك عن أشياء إن
‏‏‏‏أجبتنا فيها اتبعناك وصدقناك وآمنا بك. قال: فأخذ عليهم ما أخذ إسرائيل على
‏‏‏‏نفسه، قالوا: (الله على ما نقول وكيل) . قالوا: أخبرنا عن علامة النبي
‏‏‏‏. قال: " تنام عيناه ولا ينام قلبه ". قالوا: فأخبرنا كيف تؤنث المرأة
‏‏‏‏وكيف تذكر؟ قال:
‏‏‏‏__________جزء : 4 /صفحہ : 491__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏" يلتقي الماءان، فإن علا ماء المرأة ماء الرجل أنثت وإن
‏‏‏‏علا ماء الرجل ماء المرأة أذكرت ". قالوا: صدقت، فأخبرنا عن الرعد ما هو؟
‏‏‏‏قال: فذكره. وما بين المعكوفتين زيادة عند الضياء في رواية له، وكذلك رواه
‏‏‏‏ابن منده في " التوحيد " (ق 21 - 22) وقال: " هذا إسناد متصل ورواته
‏‏‏‏مشاهير ثقات أخرجه النسائي ".
‏‏‏‏قلت: يعني في " سننه الكبرى " كما صرح الحافظ المزي في " التحفة " (4 / 394)
‏‏‏‏. وقال الترمذي: " حديث حسن صحيح غريب ". وقال أبو نعيم: " غريب من حديث
‏‏‏‏سعيد، تفرد به بكير ".
‏‏‏‏قلت: وهو صدوق كما قال الذهبي في " الميزان " ولعل مستنده في ذلك قول أبي
‏‏‏‏حاتم فيه: " شيخ ". مع ذكر ابن حبان له في " الثقات "، وتصحيح من صحح حديثه
‏‏‏‏هذا ممن ذكرنا. وأما الحافظ فقال في " التقريب ": " مقبول ". يعني عند
‏‏‏‏المتابعة، ولم يتابع عليه كما صرح بذلك أبو نعيم في قوله السابق، فالحديث من
‏‏‏‏رأي الحافظ لين والأرجح أنه صحيح كما ذهب إليه الجماعة، لاسيما وقد ذكر له
‏‏‏‏الحافظ شاهدا في " تخريج الكشاف " (ص 91) من رواية الطبراني في " الأوسط " عن
‏‏‏‏أبي عمران الكوفي عن ابن جريج عن عطاء عن جابر أن خزيمة بن ثابت - وليس
‏‏‏‏بالأنصاري - سأل النبي صلى الله عليه وسلم عن الرعد؟ فقال: " هو ملك بيده
‏‏‏‏مخراق، إذا رفع برق، وإذا زجر رعدت، وإذا ضرب صعقت ".
‏‏‏‏__________جزء : 4 /صفحہ : 492__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏قلت: ولم يتكلم عليه الحافظ بشيء، وأبو عمران الكوفي لم أعرفه وفي الرواة
‏‏‏‏المعروفين بهذه الكنية إبراهيم بن يزيد النخعي الكوفي الفقيه، ولكنه متقدم
‏‏‏‏على هذا، والله أعلم. وقد روى الخرائطي في " مكارم الأخلاق " (ص 85) من
‏‏‏‏طريق شهر بن حوشب عن ابن عباس قال: " الرعد ملك يسوق السحاب كما يسوق الحادي
‏‏‏‏الإبل بحدائه ". وشهر ضعيف لسوء حفظه. وجملة القول أن الحديث عندي حسن على
‏‏‏‏أقل الدرجات. وفي الباب آثار أخرى كثيرة، أوردها السيوطي في " الدر المنثور
‏‏‏‏"، فليراجعها من شاء. ¤


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