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موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
جمعہ کے مسائل
जुमा के बारे में
2. جمعہ کے دن ایک گھڑی قبولیت کی ہے
“ जुमआ के दिन एक घड़ी यानि समय ऐसा है जिस समय दुआ स्वीकार की जाती है ”
حدیث نمبر: 210
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515- مالك عن يزيد بن عبد الله ابن الهاد عن محمد بن إبراهيم بن الحارث التيمي عن ابى سلمة بن عبد الرحمن عن ابى هريرة انه قال: خرجت إلى الطور فلقيت كعب الاحبار فجلست معه فحدثني عن التوراة وحدثته عن النبى صلى الله عليه وسلم فكان فيما حدثته اني قلت: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: ( (خير يوم طلعت عليه الشمس يوم الجمعة، فيه خلق آدم وفيه اهبط، وفيه تيب عليه، وفيه مات، وفيه تقوم الساعة، وما من دابة إلا وهى مصيخة يوم الجمعة من حين تصبح حتى تطلع الشمس شفقا من الساعة إلا الجن والإنس، وفيه ساعة لا يصادفها عبد مسلم وهو يصلي يسال الله شيئا إلا اعطاه إياه) ) فقال كعب: ذلك فى كل سنة يوم، فقلت: بل فى كل جمعة، قال: فقرا كعب التوراة، فقال: صدق رسول الله صلى الله عليه وسلم، قال: ابو هريرة: فلقيت بصرة بن ابى بصرة الغفاري فقال: من اين اقبلت؟ فقلت: من الطور، فقال: لو ادركتك قبل ان تخرج إليه ما خرجت إليه، سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول: ( (لا تعمل المطي إلا إلى ثلاثة مساجد، إلى المسجد الحرام وإلى مسجدي هذا وإلى مسجد إيلياء او بيت المقدس) ) ؛ يشك ايهما. قال قال ابو هريرة: ثم لقيت عبد الله بن سلام فحدثته بمجلسي مع كعب وما حدثته فى يوم الجمعة، فقلت له: قال كعب: ذلك فى كل سنة يوم، فقال عبد الله بن سلام: كذب كعب، قال: فقلت: ثم قرا كعب التوراة فقال: بل هي فى كل جمعة، فقال عبد الله: صدق كعب، ثم قال عبد الله بن سلام: قد علمت اية ساعة هي، قال ابو هريرة: فاخبرني بها ولا تضن على، فقال عبد الله بن سلام: هي آخر ساعة من يوم الجمعة، فقال ابو هريرة كيف تكون آخر ساعة من يوم الجمعة، وقد قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: ( (لا يصادفها عبد مسلم وهو يصلي وتلك ساعة لا يصلي فيها) ) ؟ فقال عبد الله بن سلام: الم يقل رسول الله صلى الله عليه وسلم: ( (من جلس مجلسا ينتظر الصلاة فهو فى صلاة حتى يصلي؟) ) قال: فقلت: بلى، فقال: هو ذلك. 515- مالك عن يزيد بن عبد الله ابن الهاد عن محمد بن إبراهيم بن الحارث التيمي عن أبى سلمة بن عبد الرحمن عن أبى هريرة أنه قال: خرجت إلى الطور فلقيت كعب الأحبار فجلست معه فحدثني عن التوراة وحدثته عن النبى صلى الله عليه وسلم فكان فيما حدثته أني قلت: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: ( (خير يوم طلعت عليه الشمس يوم الجمعة، فيه خلق آدم وفيه أهبط، وفيه تيب عليه، وفيه مات، وفيه تقوم الساعة، وما من دابة إلا وهى مصيخة يوم الجمعة من حين تصبح حتى تطلع الشمس شفقا من الساعة إلا الجن والإنس، وفيه ساعة لا يصادفها عبد مسلم وهو يصلي يسأل الله شيئا إلا أعطاه إياه) ) فقال كعب: ذلك فى كل سنة يوم، فقلت: بل فى كل جمعة، قال: فقرأ كعب التوراة، فقال: صدق رسول الله صلى الله عليه وسلم، قال: أبو هريرة: فلقيت بصرة بن أبى بصرة الغفاري فقال: من أين أقبلت؟ فقلت: من الطور، فقال: لو أدركتك قبل أن تخرج إليه ما خرجت إليه، سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول: ( (لا تعمل المطي إلا إلى ثلاثة مساجد، إلى المسجد الحرام وإلى مسجدي هذا وإلى مسجد إيلياء أو بيت المقدس) ) ؛ يشك أيهما. قال قال أبو هريرة: ثم لقيت عبد الله بن سلام فحدثته بمجلسي مع كعب وما حدثته فى يوم الجمعة، فقلت له: قال كعب: ذلك فى كل سنة يوم، فقال عبد الله بن سلام: كذب كعب، قال: فقلت: ثم قرأ كعب التوراة فقال: بل هي فى كل جمعة، فقال عبد الله: صدق كعب، ثم قال عبد الله بن سلام: قد علمت أية ساعة هي، قال أبو هريرة: فأخبرني بها ولا تضن على، فقال عبد الله بن سلام: هي آخر ساعة من يوم الجمعة، فقال أبو هريرة كيف تكون آخر ساعة من يوم الجمعة، وقد قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: ( (لا يصادفها عبد مسلم وهو يصلي وتلك ساعة لا يصلي فيها) ) ؟ فقال عبد الله بن سلام: ألم يقل رسول الله صلى الله عليه وسلم: ( (من جلس مجلسا ينتظر الصلاة فهو فى صلاة حتى يصلي؟) ) قال: فقلت: بلى، فقال: هو ذلك. 
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ میں طور (پہاڑ) کی طرف گیا تو (واپسی پر) میری ملاقات کعب الاحبار سے ہوئی تو میں اس کے پاس بیٹھ گیا۔ اس نے مجھے تورات سے باتیں بتائیں اور میں نے اسے نبی صلی اللہ علیہ وسلم کی حدیثیں سنائیں۔ میں نے اسے یہ بھی بتایا کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: بہترین دن جس میں سورج طلوع ہوتا ہے جمعہ کا دن ہے۔ اسی میں آدم علیہ السلام پیدا کئے گئے اور اسی میں (جنت سے) اتارے گئے اور اسی میں ان کی توبہ قبول کی گئی اور اسی دن فوت ہوئے اور اسی دن قیامت بپا ہو گی۔ ہر جانور جمعہ کے دن صبح کے وقت سورج کے طلوع ہونے تک قیامت سے ڈرتے ہوئے کان لگا کر سننے کی کوشش کرتا ہے سوائے جنوں اور انسانوں کے اور اس دن میں ایک ایسا وقت ہے جب مسلمان بندہ نماز پڑھ رہا ہوتا ہے تو اللہ سے جو کچھ مانگتا ہے وہ اسے عطا کر دیتا ہے۔ کعب نے کہا: یہ ہر سال میں ایک دن ہوتا ہے، تو میں نے کہا: (نہیں) بلکہ ہر جمعہ کہ یہ ہوتا ہے۔ پھر کعب نے تورات پڑھی تو کہا: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے سچ فرمایا ہے۔ سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے فرمایا: پھر میری ملاقات سیدنا بصرہ بن ابی بصرہ الغفاری رضی اللہ عنہ سے ہوئی تو انہوں نے کہا: آپ کہاں سے آئے ہیں؟ میں نے کہا: طور سے۔ تو انہوں نے کہا کہ اگر میری ملاقات آپ کے جانے سے پہلے ہوتی تو آپ وہاں نہ جاتے۔ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے ہوئے سنا ہے کہ تین مسجدوں کے علاوہ (نماز یا ثواب کے لئے) سفر نہیں کیا جاتا: مسجد حرام، یہ میری مسجد (مسجد نبوی) اور مسجد ایلیا یا بیت المقدس کی طرف۔ راوی کو مسجد ایلیا یا بیت المقدس کے لفظ میں شک ہے (اور دونوں سے مراد ایک ہی مسجد ہے یعنی مسجد اقصیٰ) سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے فرمایا کہ پھر میری ملاقات سیدنا عبداللہ بن سلام رضی اللہ عنہ سے ہوئی تو میں نے انہیں کعب کے ساتھ اپنی مجلس کے بارے میں بتایا اور جمعے کے بارے میں جو حدیث بیان کی تھی وہ بتائی اور کہا کہ کعب نے کہا: یہ وقت ہر سال میں ایک دن ہوتا ہے تو انہوں نے کہا: کعب نے غلط کہا ہے۔ میں نے کہا: پھر کعب نے تورات پڑھی تو کہا کہ بلکہ یہ (وقت) ہر جمعے کو ہوتا ہے تو عبداللہ (بن سلام رضی اللہ عنہ) نے کہا: کعب نے سچ کہا: ہے۔ پھر سیدنا عبداللہ بن سلام رضی اللہ عنہ نے فرمایا: مجھے علم ہے کہ یہ گھڑی کس وقت ہوتی ہے؟ میں نے کہا: آپ مجھے بتا دیں اور بتانے میں بخل نہ کریں تو سیدنا عبداللہ بن سلام رضی اللہ عنہ نے فرمایا: یہ جمعے کے آخری وقت ہوتی ہے۔ سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے کہا: یہ آخری وقت کس طرح ہوتی ہے اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب مسلمان بندہ نماز پڑھ رہا ہوتا ہے، اور اس وقت تو نماز نہیں پڑھی جاتی؟ تو سیدنا عبداللہ بن سلام رضی اللہ عنہ نے فرمایا: کیا رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے نہیں فرمایا کہ جو شخص نماز کے انتظار میں بیٹھا ہو تو وہ نماز پڑھنے تک نماز میں ہی (شمار) ہوتا ہے؟ (سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے فرمایا:) میں نے کہا: ہاں! فرمایا تھا، تو انہوں نے کہا: تو یہی (مطلب) ہے۔
हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि मैं तूर पहाड़ की तरफ़ गया तो वापसी पर मेरा मिलना कअब अल-अहबार से हुआ तो मैं उस के पास बैठ गया। उस ने मुझे तोरात से बातें बताईं और मैं ने उसे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हदीसें सुनाईं। मैं ने उसे ये भी बताया कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “सब से अच्छा दिन जिस में सूरज निकलता है जुमाअ का दिन है। उसी दिन आदम अलैहिस्सलाम पैदा किये गए और उसी दिन (जन्नत से) उतारे गए और उसी दिन उन की तौबा स्वीकार की गई और उसी दिन मर गए और उसी दिन क़यामत आएगी। हर जानवर जुमाअ के दिन सुबह के समय सूरज निकलने तक क़यामत से डरते हुए कान लगा कर सुनने की कोशिश करता है सिवाए जिन्नों और इंसानों के और उस दिन एक ऐसा समय है जब मुसलमान बंदा नमाज़ पढ़ रहा होता है तो अल्लाह से जो कुछ मांगता है वह उसे दे देता है।” कअब ने कहा ! ये हर साल में एक दिन होता है, तो मैं ने कहा ! (नहीं) हर जुमाअ के दिन ये होता है। फिर कअब ने तोरात पढ़ी तो कहा ! रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सच कहा है। हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा ! फिर मेरा मिलना हज़रत बसरा बिन अबी बसरा अल-ग़फ़्फ़ारी रज़ि अल्लाहु अन्ह से हुआ तो उन्हों ने कहा ! आप कहाँ से आए हैं ? मैं ने कहा ! तूर से, तो उन्हों ने कहा कि अगर मेरा मिलना आप के जाने से पहले होता तो आप वहां न जाते। मैं ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को कहते हुए सुना है कि तीन मस्जिदों के सिवा (नमाज़ या सवाब के लिए) सफ़र नहीं किया जाता ! मस्जिद हराम, ये मेरी मस्जिद (मस्जिद नबवी) और मस्जिद एलिया या बेत अल-मुक़ददस की तरफ़। रावी को मस्जिद एलिया या बेत अल-मुक़ददस के शब्दों में शक है (और दोनों से मुराद एक ही मस्जिद है यानी मस्जिद अक़सा) हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा कि फिर मेरा मिलना हज़रत अब्दुल्लाह बिन सलाम रज़ि अल्लाहु अन्ह से हुआ तो मैं ने उन्हें कअब के साथ अपनी बैठक के बारे में बताया और जुमाअ के बारे में जो हदीस बयान की थी वह बताई और कहा कि कअब ने कहा ! ये समय हर साल में एक दिन होता है तो उन्हों ने कहा ! कअब ने ग़लत कहा है। मैं ने कहा ! फिर कअब ने तोरात पढ़ी तो कहा कि बल्कि ये (समय) हर जुमाअ को होता है तो अब्दुल्लाह (बिन सलाम रज़ि अल्लाहु अन्ह) ने कहा ! कअब ने सच कहा ! है । फिर हज़रत अब्दुल्लाह बिन सलाम रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा ! मुझे जानकारी है कि ये घड़ी किस समय होती है ? मैं ने कहा ! आप मुझे बता दें और बताने में कंजूसी न करें तो हज़रत अब्दुल्लाह बिन सलाम रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा ! ये जुमाअ के अंतिम समय में होती है। हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा ! ये अंतिम समय कब होता है और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जब मुसलमान बंदा नमाज़ पढ़ रहा होता है, और उस समय तो नमाज़ नहीं पढ़ी जाती ?” तो हज़रत अब्दुल्लाह बिन सलाम रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा ! क्या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने नहीं कहा कि जो व्यक्ति नमाज़ के इंतिज़ार में बेठा हो तो वह नमाज़ पढ़ने तक नमाज़ में ही गिना जाता है ? (हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा) मैं ने कहा ! हाँ ! कहा था, तो उन्हों ने कहा ! तो यही मतलब है।

تخریج الحدیث: «515- الموطأ (رواية يحييٰي بن يحييٰي 108/1-110 ح 239، ك 5 ب 7 ح 16) التمهيد 36/23، 37، الاستذكار: 210، و أخرجه أبوداود (1046) و الترمذي (491) من حديث مالك به وقال الترمذي: ”حسن صحيح“ وصححه ابن خزيمة (1738) وابن حبان (الموارد: 1024) والحاكم (278/1، 279) عليٰ شرط الشيخين ووافقه الذهبي.»

قال الشيخ زبير على زئي: سنده صحيح


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