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موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
جنازے کے مسائل
जनाज़े के बारे में
10. سوگ صرف تین دن ہے
“ शोक केवल तीन दिन का है ”
حدیث نمبر: 233
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
318- مالك عن عبد الله بن ابى بكر بن محمد بن عمرو بن حزم عن حميد بن نافع عن زينب بنت ابى سلمة انها اخبرته بهذه الاحاديث الثلاثة، قال: فقالت زينب: دخلت على ام حبيبة زوج النبى صلى الله عليه وسلم حين توفي ابوها ابو سفيان بن حرب، فدعت ام حبيبة بطيب فيه صفرة خلوق او غير ذلك، فدهنت منه جارية، ثم مست بعارضيها، ثم قالت: والله مالي بالطيب من حاجة غير اني سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول: ”لا يحل لامراة تؤمن بالله واليوم الآخر تحد على ميت فوق ثلاث ليال، إلا على زوج اربعة اشهر وعشرا.“ فقالت زينب: ثم دخلت على زينب بنت جحش حين توفي اخوها، فدعت بطيب فمست منه، ثم قالت: والله مالي بالطيب من حاجة، غير اني سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول على المنبر: لا يحل لامراة تؤمن بالله واليوم الآخر تحد على ميت فوق ثلاث ليال إلا على زوج اربعة اشهر وعشرا. قالت زينب: وسمعت امي ام سلمة زوج النبى صلى الله عليه وسلم تقول: جاءت امراة إلى رسول الله صلى الله عليه وسلم فقالت: يا رسول الله إن ابنتي توفي عنها زوجها، وقد اشتكت عينها، افتكحلها؟، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم: ”لا“ مرتين او ثلاثا كل ذلك يقول: ”لا“ ثم قال: ”إنما هي اربعة اشهر وعشر، وقد كانت إحداكن فى الجاهلية ترمي بالبعرة عند راس الحول.“ قال حميد: فقلت لزينب: وما ترمي بالبعرة عند راس الحول؟، فقالت زينب: كانت المراة إذا توفي عنها زوجها، دخلت حفشا ولبست شر ثيابها، ولم تمس طيبا ولا شيئا حتى تمر بها سنة، ثم تؤتى بدابة حمار او شاة او طير، فتفتض به، فقلما تفتض بشيء إلا مات، ثم تخرج فتعطى بعرة فترمي بها، ثم تراجع بعد ما شاءت من طيب او غيره. قال مالك: تفتض، تمسح به، والحفش: الخص. كمل حديث عبد الله بن ابى بكر.318- مالك عن عبد الله بن أبى بكر بن محمد بن عمرو بن حزم عن حميد بن نافع عن زينب بنت أبى سلمة أنها أخبرته بهذه الأحاديث الثلاثة، قال: فقالت زينب: دخلت على أم حبيبة زوج النبى صلى الله عليه وسلم حين توفي أبوها أبو سفيان بن حرب، فدعت أم حبيبة بطيب فيه صفرة خلوق أو غير ذلك، فدهنت منه جارية، ثم مست بعارضيها، ثم قالت: والله مالي بالطيب من حاجة غير أني سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول: ”لا يحل لامرأة تؤمن بالله واليوم الآخر تحد على ميت فوق ثلاث ليال، إلا على زوج أربعة أشهر وعشرا.“ فقالت زينب: ثم دخلت على زينب بنت جحش حين توفي أخوها، فدعت بطيب فمست منه، ثم قالت: والله مالي بالطيب من حاجة، غير أني سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول على المنبر: لا يحل لامرأة تؤمن بالله واليوم الآخر تحد على ميت فوق ثلاث ليال إلا على زوج أربعة أشهر وعشرا. قالت زينب: وسمعت أمي أم سلمة زوج النبى صلى الله عليه وسلم تقول: جاءت امرأة إلى رسول الله صلى الله عليه وسلم فقالت: يا رسول الله إن ابنتي توفي عنها زوجها، وقد اشتكت عينها، أفتكحلها؟، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم: ”لا“ مرتين أو ثلاثا كل ذلك يقول: ”لا“ ثم قال: ”إنما هي أربعة أشهر وعشر، وقد كانت إحداكن فى الجاهلية ترمي بالبعرة عند رأس الحول.“ قال حميد: فقلت لزينب: وما ترمي بالبعرة عند رأس الحول؟، فقالت زينب: كانت المرأة إذا توفي عنها زوجها، دخلت حفشا ولبست شر ثيابها، ولم تمس طيبا ولا شيئا حتى تمر بها سنة، ثم تؤتى بدابة حمار أو شاة أو طير، فتفتض به، فقلما تفتض بشيء إلا مات، ثم تخرج فتعطى بعرة فترمي بها، ثم تراجع بعد ما شاءت من طيب أو غيره. قال مالك: تفتض، تمسح به، والحفش: الخص. كمل حديث عبد الله بن أبى بكر.
حمید بن نافع رحمہ اللہ سے روایت ہے کہ سیدہ زینب بنت ابی سلمہ رضی اللہ عنہا نے انہیں تین حدیثیں بتائیں: زینب نے کہا: جب نبی صلی اللہ علیہ وسلم کہ زوجہ ام حبیبہ رضی اللہ عنہا کے والد ابوسفیان بن حرب رضی اللہ عنہ فوت ہوئے تو میں ان کے پاس گئی، پھر ام حبیبہ رضی اللہ عنہا نے زرد رنگ کی خوشبو منگوائی جس میں زعفران یا کوئی دوسری چیز ملی ہوئی تھی اور وہ خوشبو (تیل کے ساتھ) اپنی لونڈی کو لگائی پھر (باقی ماندہ حصے سے) اپنے رخساروں پر مل لی اور فرمایا: اللہ کی قسم! مجھے خوشبو کی کوئی ضرورت نہیں ہے سوائے اس کے کہ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے ہوئے سنا ہے کہ جو عورت اللہ اور آخرت کے دن پر ایمان رکھتی ہے اس کے لئے حلال نہیں کہ وہ کسی مرنے والے پر تین راتوں سے زیادہ سوگ کرے سوائے (اپنے) خاوند کے، اس پر وہ چار مہینے اور دس دن سوگ کرے گی، زینب (بنت ابی سلمہ) نے فرمایا: پھر میں زینب بنت حجش رضی اللہ عنہا کے پاس گئی جن کا بھائی فوت ہوا تھا، پھر انہوں نے خوشبو منگوائی اور اس میں سے لگا کر فرمایا: اللہ کی قسم! مجھے خوشبو کی کوئی ضرورت نہیں ہے سوائے اس کے کہ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو منبر پر فرماتے ہوئے سنا ہے کہ جو عورت اللہ اور آخرت کے دن پر ایمان رکھتی ہے اس کے لئے حلال نہیں ہے کہ وہ کسی مرنے والے پر تین راتوں سے زیادہ سوگ کرے سوائے (اپنے) خاوند کے، اس پر وہ چار مہینے اور دس دن سوگ کرے گی زینت (بنت ابی سلمہ) نے کہا: میں نے اپنی امی اُم سلمہ نبی صلی اللہ علیہ وسلم کی بیوی کو فرماتے ہوئے سنا کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس ایک عورت آئی اور کہا: یا رسول اللہ! میری بیٹی کا شوہر فوت ہو گیا ہے اور اس کی آنکھوں میں درد ہے تو کیا وہ سرمہ ڈال سکتی ہے؟ تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے دو یا تین دفعہ فرمایا: نہیں، پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: یہ تو چار مہینے اور دس دن ہیں زمانہ جاہلیت میں تم عورتوں میں سے شوہر کے مرنے والی عورت ایک سال گزرنے پر مینگنی پھینک دیتی تھی۔ حمید بن نافع نے کہا: میں نے زینب (بنت ام سلمہ) سے پوچھا: سال گزرنے پر مینگنی پھینک دینے کا کیا مطلب ہے؟، تو زینب نے کہا: جب کسی عورت کا خاوند فوت ہو جاتا تو وہ ایک گندی کوٹھڑی میں داخل ہو جاتی اور گندے کپڑے پہن لیتی تھی، وہ نہ خوشبو لگاتی اور نہ کوئی دوسری چیز (صفائی کے لیے) استعمال کرتی، پھر جب ایک سال گزر جاتا تو کوئی جانور: گدھا، بکری یا پرندہ لایا جاتا تو اسے اپنے جسم سے لگاتی، وہ جس جانور کو اپنے جسم سے لگاتی تو (عام طور پر) مر جاتا تھا، پھر وہ (کوٹھڑی سے) باہر نکلتی تو اسے (اونٹ کی) مینگنی (یا لید) دی جاتی تو وہ اسے پھینکتی تھی پھر اس کے بعد وہ خوشبو وغیرہ لگاتی تھی۔، امام مالک نے کہا: «تفتض» کا مطلب ہے «تمسح» (چھوتی تھی) اور «حفش» (چھوٹی سی بند کوٹھڑی والے) قلعہ کو کہتے ہیں، عبداللہ بن ابی بکر کی بیان کردہ حدیثیں مکمل ہو گئیں۔
हमीद बिन नाफ़अ रहम अल्लाह से रिवायत है कि हज़रत ज़ैनब बिन्त अबी सलमा रज़ि अल्लाहु अन्हा ने उन्हें तीन हदीसें बताईं, ज़ैनब ने कहा ! जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कि पत्नी उम्म हबीबह रज़ि अल्लाहु अन्हा के पिता अबु सुफ़ियान बिन हर्ब रज़ि अल्लाहु अन्ह की मौत हुई तो मैं उन के पास गई, फिर उम्म हबीबह रज़ि अल्लाहु अन्हा ने नारंगी रंग की ख़ुश्बू मंगवाई जिस में ज़ाअफ़रान या कोई दूसरी चीज़ मिली हुई थी और वह ख़ुश्बू अपनी लौंडी को लगाई फिर अपने गालों पर मल ली और कहा ! अल्लाह की क़सम मुझे ख़ुश्बू की कोई ज़रूरत नहीं है सिवाए इस के कि मैं ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को कहते हुए सुना है कि जो औरत अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान रखती है उस के लिए हलाल नहीं कि वह किसी मरने वाले पर तीन रातों से ज़्यादा शोक करे सिवाए (अपने) पति के, उस पर वह चार महीने और दस दिन शोक करे गी, ज़ैनब (बिन्त अबी सलमा) ने कहा ! फिर मैं ज़ैनब बिन्त हजश रज़ि अल्लाहु अन्हा के पास गई जिन का भाई मर गया था, फिर इन्हों ने ख़ुश्बू मंगवाई और उसे लगा कर कहा ! अल्लाह की क़सम ! मुझे ख़ुश्बू की कोई ज़रूरत नहीं है सिवाए इस के कि मैं ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मिम्बर पर कहते हुए सुना है कि जो औरत अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान रखती है उस के लिए हलाल नहीं है कि वह किसी मरने वाले पर तीन रातों से ज़्यादा शोक करे सिवाए (अपने) पति के, उस पर वह चार महीने और दस दिन शोक करेगी ज़ीनत (बिन्त अबी सलमा) ने कहा ! मैं ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पत्नी उम्म सलमा को कहते हुए सुना कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास एक औरत आई और कहा ! या रसूल अल्लाह ! मेरी बेटी का पति मर गया है और उस की आंखों में दर्द है तो क्या वह सुरमा डाल सकती है ? तो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दो या तीन दफ़ा फ़रमाया ! “नहीं”, फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “ये तो चार महीने और दस दिन हैं ज़माने जाहिलियत में तुम औरतों में से पति के मरने वाली औरत एक साल गुज़रने पर मेंगनी फेंक देती थी।” हमीद बिन नाफ़अ ने कहा ! मैं ने ज़ैनब (बिन्त उम्म सलमा) से पूछा ! साल गुज़रने पर मेंगनी फेंक देने का किया मतलब है ?, तो ज़ैनब ने कहा ! जब किसी औरत का पति मर जाता तो वह एक गंदी कोठरी में चली जाती और गंदे कपड़े पहन लेती थी, वह न ख़ुश्बू लगाती और न कोई दूसरी चीज़ (सफ़ाई के लिए) इस्तेमाल करती, फिर जब एक साल गुज़र जाता तो कोई जानवर यानि गधा, बकरी या पक्षी लाया जाता तो उसे अपने शरीर से लगाती, वह जिस जानवर को अपने शरीर से लगाती तो (आम तौर पर) मर जाता था, फिर वह (कोठरी से) बाहर निकलती तो उसे (ऊंट की) मेंगनी दी जाती तो वह उसे फेंकती थी फिर इस के बाद वह ख़ुश्बू वग़ैरा लगाती थी।, इमाम मालिक ने कहा ! « تفتض » का मतलब है « تمسح » (छूती थी) और « حفش » (छोटी सी बंद कोठरी वाले) क़िले को कहते हैं, अब्दुल्लाह बिन अबी बक्र की बयान की गई हदीसें पूरी हो गईं।

تخریج الحدیث: «318- متفق عليه، الموطأ (رواية يحييٰي بن يحييٰي 596/2-298 ح 1306، ك 29 ب 35 ح 101-103) التمهيد 310/17، 311، الاستذكار: 1224-1226، و أخرجه البخاري (5334-5337) و مسلم (1486-1489) من حديث مالك به، من رواية يحيي بن يحيي وجاء الأصل: ”عشرا“!، وفي رواية يحيي بن يحيي: ولحفش البيت الردي.»

قال الشيخ زبير على زئي: سنده صحيح

   صحيح البخاري5336زينب بنت عبد اللهأربعة أشهر وعشر كانت إحداكن في الجاهلية ترمي بالبعرة على رأس الحول
   صحيح البخاري5338زينب بنت عبد اللهكانت إحداكن تمكث في شر أحلاسها فإذا كان حول فمر كلب رمت ببعرة لا حتى تمضي أربعة أشهر وعشر لا يحل لامرأة مسلمة تؤمن بالله واليوم الآخر أن تحد فوق ثلاثة أيام إل
   صحيح البخاري5334زينب بنت عبد اللهلا يحل لامرأة تؤمن بالله واليوم الآخر أن تحد على ميت فوق ثلاث ليال إلا على زوج أربعة أشهر وعشرا
   صحيح البخاري5706زينب بنت عبد اللهكانت إحداكن تمكث في بيتها في شر أحلاسها فإذا مر كلب رمت بعرة هلا أربعة أشهر وعشرا
   صحيح مسلم3731زينب بنت عبد اللهكانت إحداكن تكون في شر بيتها في أحلاسها حولا فإذا مر كلب رمت ببعرة فخرجت أفلا أربعة أشهر وعشرا
   صحيح مسلم3727زينب بنت عبد اللهأربعة أشهر وعشر كانت إحداكن في الجاهلية ترمي بالبعرة على رأس الحول
   صحيح مسلم3726زينب بنت عبد اللهلا يحل لامرأة تؤمن بالله واليوم الآخر تحد على ميت فوق ثلاث إلا على زوج أربعة أشهر وعشرا
   جامع الترمذي1197زينب بنت عبد اللهأربعة أشهر وعشرا كانت إحداكن في الجاهلية ترمي بالبعرة على رأس الحول
   جامع الترمذي1196زينب بنت عبد اللهلا يحل لامرأة تؤمن بالله واليوم الآخر أن تحد على ميت فوق ثلاث ليال إلا على زوج أربعة أشهر وعشرا
   سنن أبي داود2299زينب بنت عبد اللهأربعة أشهر وعشر كانت إحداكن في الجاهلية ترمي بالبعرة على رأس الحول
   سنن أبي داود2299زينب بنت عبد اللهلا يحل لامرأة تؤمن بالله واليوم الآخر أن تحد على ميت فوق ثلاث ليال إلا على زوج أربعة أشهر وعشرا
   سنن أبي داود2299زينب بنت عبد اللهلا يحل لامرأة تؤمن بالله واليوم الآخر أن تحد على ميت فوق ثلاث ليال إلا على زوج أربعة أشهر وعشرا
   سنن النسائى الصغرى3531زينب بنت عبد اللهكانت إحداكن تمكث في بيتها في شر أحلاسها حولا ثم خرجت لا أربعة أشهر وعشرا
   سنن النسائى الصغرى3568زينب بنت عبد اللهإلا أربعة أشهر وعشرا كانت إحداكن في الجاهلية تحد على زوجها سنة ثم ترمي على رأس السنة بالبعرة
   سنن النسائى الصغرى3569زينب بنت عبد اللهكانت إحداكن تحد السنة ثم ترمي البعرة على رأس الحول هي أربعة أشهر وعشرا
   سنن النسائى الصغرى3570زينب بنت عبد اللهكانت إحداكن ترمي بالبعرة على رأس الحول هي أربعة أشهر وعشرا
   موطا امام مالك رواية ابن القاسم233زينب بنت عبد اللهإنما هي اربعة اشهر وعشر، وقد كانت إحداكن فى الجاهلية ترمي بالبعرة عند راس الحول
   بلوغ المرام950زينب بنت عبد اللهابنتي مات عنها زوجها وقد اشتكت عينها افنكحلها؟ قال لا
   مسندالحميدي306زينب بنت عبد اللهإن كانت إحداكن لترمي بالبعرة على رأس الحول وإنما هي الآن أربعة أشهر وعشر
   مسندالحميدي308زينب بنت عبد اللهلا يحل لامرأة تؤمن بالله واليوم الآخر أن تحد على ميت فوق ثلاث إلا على زوج فإنها تحد عليه أربعة أشهر وعشرا

تخریج الحدیث کے تحت حدیث کے فوائد و مسائل
  حافظ زبير على زئي رحمه الله، فوائد و مسائل، تحت الحديث موطا امام مالك رواية ابن القاسم 233  
´سوگ صرف تین دن ہے`
«. . . أني سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول: لا يحل لامرأة تؤمن بالله واليوم الآخر تحد على ميت فوق ثلاث ليال، إلا على زوج أربعة أشهر وعشرا . . .»
. . . میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے ہوئے سنا ہے کہ جو عورت اللہ اور آخرت کے دن پر ایمان رکھتی ہے اس کے لئے حلال نہیں کہ وہ کسی مرنے والے پر تین راتوں سے زیادہ سوگ کرے سوائے (اپنے) خاوند کے، اس پر وہ چار مہینے اور دس دن سوگ کرے گی . . . [موطا امام مالك رواية ابن القاسم: 233]

تخریج الحدیث: [وأخرجه البخاري 5334 5337، ومسلم 1486 1489، من حديث مالك به]
[● من رواية يحيى بن يحيى وجاء فى الأصل: عَشْرًا! ** وفي رواية يحيى بن يحيى: وَالْحِفْشُ الْبَيْتُ الرَّدِئُ]
تفقه:
➊ عدت گزر جانے کے بعد عدت کی ممنوعات کو ختم کر دینا چاہئے۔
➋ ہر حال میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی اطاعت واجب ہے اگرچہ بظاہر کسی مشکل کا سامنا ہو۔
➌ حالت عدت میں آنکھوں میں سرمہ ڈالنے سمیت کسی قسم کی زینت کی اجازت نہیں ہے۔ ➍ صحابیات اور صحابۂ کرام ہر وقت رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی حدیث پر عمل کرنے کے لئے تیار رہتے تھے۔
➎ اسلام عورت کے تحفظ اور عزت کا ضامن ہے۔
➏ عورت پر شوہر کی وفات پر ترکزینت دوران عدت فرض ہے جبکہ کسی اور کی وفات پر تین دن تک ترکِ زینت کرنا جائز ہے واجب نہیں۔ چنانچہ ام سلیم رضی اللہ عنہا نے اپنے بیٹے کی وفات پر ایک دن بھی سوگ (ترک زینت) نہیں کیا۔ دیکھئے [صحيح بخاري 5470، وصحيح مسلم 2144]
   موطا امام مالک روایۃ ابن القاسم شرح از زبیر علی زئی، حدیث\صفحہ نمبر: 318   
  حافظ زبير على زئي رحمه الله، فوائد و مسائل، تحت الحديث موطا امام مالك رواية ابن القاسم 233  
´سوگ صرف تین دن ہے`
«. . . أني سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول: لا يحل لامرأة تؤمن بالله واليوم الآخر تحد على ميت فوق ثلاث ليال، إلا على زوج أربعة أشهر وعشرا . . .»
. . . رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے ہوئے سنا ہے کہ جو عورت اللہ اور آخرت کے دن پر ایمان رکھتی ہے اس کے لئے حلال نہیں کہ وہ کسی مرنے والے پر تین راتوں سے زیادہ سوگ کرے سوائے (اپنے) خاوند کے، اس پر وہ چار مہینے اور دس دن سوگ کرے گی . . . [موطا امام مالك رواية ابن القاسم: 233]

. . . [موطا امام مالك رواية ابن القاسم: 233]

تخریج الحدیث: [وأخرجه البخاري 5334 5337، ومسلم 1486 1489، من حديث مالك به]
[● من رواية يحيى بن يحيى وجاء فى الأصل: عَشْرًا! ** وفي رواية يحيى بن يحيى: وَالْحِفْشُ الْبَيْتُ الرَّدِئُ]
تفقه:
➊ عدت گزر جانے کے بعد عدت کی ممنوعات کو ختم کر دینا چاہئے۔
➋ ہر حال میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی اطاعت واجب ہے اگرچہ بظاہر کسی مشکل کا سامنا ہو۔
➌ حالتِ عدت میں آنکھوں میں سُرمہ ڈالنے سمیت کسی قسم کی زینت کی اجازت نہیں ہے۔ ➍ صحابیات اور صحابۂ کرام ہر وقت رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی حدیث پر عمل کرنے کے لئے تیار رہتے تھے۔
➎ اسلام عورت کے تحفظ اور عزت کا ضامن ہے۔
➏ عورت پر شوہر کی وفات پر ترکِ زینت دورانِ عدت فرض ہے جبکہ کسی اور کی وفات پر تین دن تک ترکِ زینت کرنا جائز ہے واجب نہیں۔ چنانچہ ام سلیم رضی اللہ عنہا نے اپنے بیٹے کی وفات پر ایک دن بھی سوگ (ترک زینت) نہیں کیا۔ دیکھئے [صحيح بخاري 5470، وصحيح مسلم 2144]
   موطا امام مالک روایۃ ابن القاسم شرح از زبیر علی زئی، حدیث\صفحہ نمبر: 318   
  علامه صفي الرحمن مبارك پوري رحمه الله، فوائد و مسائل، تحت الحديث بلوغ المرام 950  
´عدت، سوگ اور استبراء رحم کا بیان`
سیدہ ام سلمہ رضی اللہ عنہا سے مروی ہے کہ ایک عورت نے عرض کیا۔ اے اللہ کے رسول! میری بیٹی کا شوہر وفات پا گیا ہے اور بیٹی آشوب چشم میں مبتلا ہو گئی ہے کیا میں اس کی آنکھوں میں سرمہ لگا سکتی ہوں؟ فرمایا نہیں (بخاری و مسلم) «بلوغ المرام/حدیث: 950»
تخریج:
«أخرجه البخاري، الطلاق، باب تحد المتوفي عنها أربعة أشهر وعشرًا، حديث:5336، ومسلم، الطلاق، باب وجوب الإحداد....، حديث:1488.»
تشریح:
یہ حدیث دلیل ہے کہ سوگ منانے والی عورت کے لیے سرمے کا استعمال حرام ہے جبکہ ام سلمہ رضی اللہ عنہا سے ایک عورت نے فتویٰ پوچھا تو انھوں نے کہا: رات کے وقت لگا لو اور دن کے وقت اسے دھو ڈالو جیسا کہ موطا امام مالک وغیرہ میں ہے۔
(الموطأ للإمام مالک‘ الطلاق‘ باب ماجاء في الإحداد) اور ابوداود کے الفاظ ہیں: پس تو رات کو سرمہ لگا لے اور دن میں اسے دھو ڈال۔
(سنن أبي داود‘ الطلاق‘ حدیث: ۲۳۰۵) اس سے معلوم ہوا کہ رات کے وقت سرمہ لگانا جائز ہے بشرطیکہ اس کی ضرورت ہو‘ تاہم اس کا ترک کرنا اولیٰ ہے۔
سرمے کی ممانعت کا سبب یہ ہے کہ یہ خوبصورتی کا موجب ہے‘ لہٰذا اگر سرمہ سفید ہو جس میں زینت بھی نہ ہو تو دن کے اوقات میں بھی اسے استعمال کرنے میں کوئی حرج نہیں ہے۔
واللّٰہ أعلم۔
   بلوغ المرام شرح از صفی الرحمن مبارکپوری، حدیث\صفحہ نمبر: 950   
  الشیخ ڈاکٹر عبد الرحمٰن فریوائی حفظ اللہ، فوائد و مسائل، سنن ترمذی، تحت الحديث 1197  
´شوہر کی موت پر عورت کی عدت کا بیان۔`
(تیسری حدیث یہ ہے) زینب کہتی ہیں: میں نے اپنی ماں ام المؤمنین ام سلمہ رضی الله عنہا کو کہتے سنا کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس ایک عورت نے آ کر عرض کیا: اللہ کے رسول! میری بیٹی کا شوہر مر گیا ہے، اور اس کی آنکھیں دکھ رہی ہیں، کیا ہم اس کو سرمہ لگا دیں؟ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: نہیں۔‏‏‏‏ دو یا تین مرتبہ اس عورت نے آپ سے پوچھا اور آپ نے ہر بار فرمایا: نہیں، پھر آپ نے فرمایا: (اب تو اسلام میں) عدت چار ماہ دس دن ہے، حالانکہ جاہلیت میں تم میں سے (فوت شدہ شوہر والی بیوہ) عورت سال بھر کے بعد اونٹ کی مینگنی پھ۔۔۔۔ (مکمل حدیث اس نمبر پر پڑھیے۔) [سنن ترمذي/كتاب الطلاق واللعان/حدیث: 1197]
اردو حاشہ:
وضاحت:
1؎:
سال بھرکے بعد اونٹ کی مینگنی پھینکنے کا مطلب یہ ہے کہ زمانہ جاہلیت میں عورت کا شوہرجب انتقال کرجاتا تو وہ ایک معمولی جھونپڑی میں جا رہتی اورخراب سے خراب کپڑاپہن لیتی تھی اورسال پورا ہو نے تک نہ خوشبو استعمال کرتی اور نہ ہی کسی اور چیزکو ہاتھ لگاتی پھرکوئی جانور،
گدھا،
بکری،
یا پرندہ اس کے پاس لا یا جاتا اور وہ اس سے اپنے جسم اور اپنی شرم گاہ کو رگڑتی اور جس جانورسے وہ رگڑتی عام طورسے وہ مرہی جاتا،
پھروہ اس تنگ وتاریک جگہ سے باہر آتی پھر اسے اونٹ کی مینگنی دی جاتی اور وہ اسے پھینک دیتی اس طرح گویا وہ اپنی نحوست دورکرتی اس کے بعد ہی اسے خوشبو وغیرہ استعمال کرنے اجازت ملتی۔
   سنن ترمذي مجلس علمي دار الدعوة، نئى دهلى، حدیث\صفحہ نمبر: 1197   
  الشيخ عمر فاروق سعيدي حفظ الله، فوائد و مسائل، سنن ابي داود ، تحت الحديث 2299  
´شوہر کی وفات پر بیوی کے سوگ منانے کا بیان۔`
حمید بن نافع کہتے ہیں کہ زینب بنت ابی سلمہ رضی اللہ عنہما نے انہیں ان تینوں حدیثوں کی خبر دی کہ جب ام المؤمنین ام حبیبہ رضی اللہ عنہا کے والد ابوسفیان رضی اللہ عنہ کا انتقال ہوا تو میں ان کے پاس گئی، انہوں نے زرد رنگ کی خوشبو منگا کر ایک لڑکی کو لگائی پھر اپنے دونوں رخساروں پر بھی مل لی اس کے بعد کہنے لگیں: اللہ کی قسم! مجھے خوشبو لگانے کی قطعاً حاجت نہ تھی، میں نے تو ایسا صرف اس بنا پر کیا کہ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے ہوئے سنا تھا: کسی عورت کے لیے جو اللہ تعالیٰ اور آخرت کے دن پر ایمان رکھتی ہو یہ حلال نہیں کہ وہ کسی م۔۔۔۔ (مکمل حدیث اس نمبر پر پڑھیے۔) [سنن ابي داود/كتاب تفريع أبواب الطلاق /حدیث: 2299]
فوائد ومسائل:
1: (إحداد) کے لغوی معنی ہیں زیب وزینت چھوڑدینا اسی کو سوگ منانا کہا جا تاہے۔

2: جاہل لوگ اپنے کفر وشرک کی ریتوں پر سختی سے عمل کرتے ہیں، لہذا مسلمان کو چاہیے کہ وہ اپنے رب کی شریعت کی رضا ورغبت سے پابندی کریں۔

   سنن ابی داود شرح از الشیخ عمر فاروق سعدی، حدیث\صفحہ نمبر: 2299   

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