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موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
روزوں کے مسائل
रोज़ों के बारे में
6. جنبی آدمی غسل سے پہلے سحری کھا سکتا ہے
“ अपवित्र यानि नापाक व्यक्ति नहाने से पहले सहरी खा सकता है ”
حدیث نمبر: 256
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
437- وعنه انه سمع ابا بكر بن عبد الرحمن يقول: كنت انا وابي عند مروان ابن الحكم وهو امير المدينة، فذكر له ان ابا هريرة يقول: من اصبح جنبا افطر ذلك اليوم، فقال مروان: اقسمت عليك يا ابا عبد الرحمن، لتذهبن إلى امي المؤمنين عائشة وام سلمة فلتسالنهما عن ذلك، قال: فذهب عبد الرحمن وذهبت معه حتى دخلنا على عائشة، فسلم عليها عبد الرحمن ثم قال: يا ام المؤمنين، إنا كنا عند مروان بن الحكم، فذكر له ان ابا هريرة يقول، من اصبح جنبا افطر ذلك اليوم، فقالت عائشة: ليس كما قال ابو هريرة يا عبد الرحمن، اترغب عما كان رسول الله صلى الله عليه وسلم يصنع؟، فقال عبد الرحمن: لا والله، فقالت: فاشهد على رسول الله صلى الله عليه وسلم ان كان ليصبح جنبا من جماع غير احتلام ثم يصوم ذلك اليوم؛ قال: ثم خرجنا حتى دخلنا على ام سلمة فسالها، فقالت كما قالت عائشة: قال: فخرجنا حتى جئنا مروان بن الحكم فذكر له عبد الرحمن ما قالتا، فقال له مروان: اقسمت عليك يا ابا محمد، لتركبن دابتي فإنها بالباب، فلتذهبن إلى ابى هريرة فإنه بارضه بالعقيق فلتخبرنه ذلك، قال: فركب، عبد الرحمن وركبت معه حتى اتينا ابا هريرة، فتحدث معه عبد الرحمن ساعة ثم ذكر ذلك له، فقال ابو هريرة: لا علم لي بذلك، إنما اخبرنيه مخبر.437- وعنه أنه سمع أبا بكر بن عبد الرحمن يقول: كنت أنا وأبي عند مروان ابن الحكم وهو أمير المدينة، فذكر له أن أبا هريرة يقول: من أصبح جنبا أفطر ذلك اليوم، فقال مروان: أقسمت عليك يا أبا عبد الرحمن، لتذهبن إلى أمي المؤمنين عائشة وأم سلمة فلتسألنهما عن ذلك، قال: فذهب عبد الرحمن وذهبت معه حتى دخلنا على عائشة، فسلم عليها عبد الرحمن ثم قال: يا أم المؤمنين، إنا كنا عند مروان بن الحكم، فذكر له أن أبا هريرة يقول، من أصبح جنبا أفطر ذلك اليوم، فقالت عائشة: ليس كما قال أبو هريرة يا عبد الرحمن، أترغب عما كان رسول الله صلى الله عليه وسلم يصنع؟، فقال عبد الرحمن: لا والله، فقالت: فاشهد على رسول الله صلى الله عليه وسلم أن كان ليصبح جنبا من جماع غير احتلام ثم يصوم ذلك اليوم؛ قال: ثم خرجنا حتى دخلنا على أم سلمة فسألها، فقالت كما قالت عائشة: قال: فخرجنا حتى جئنا مروان بن الحكم فذكر له عبد الرحمن ما قالتا، فقال له مروان: أقسمت عليك يا أبا محمد، لتركبن دابتي فإنها بالباب، فلتذهبن إلى أبى هريرة فإنه بأرضه بالعقيق فلتخبرنه ذلك، قال: فركب، عبد الرحمن وركبت معه حتى أتينا أبا هريرة، فتحدث معه عبد الرحمن ساعة ثم ذكر ذلك له، فقال أبو هريرة: لا علم لي بذلك، إنما أخبرنيه مخبر.
ابوبکر بن عبدالرحمٰن رحمہ اللہ سے روایت ہے کہ میں اور میرے والد دونوں مروان بن حکم کے پاس، جن دنوں وہ مدینے کے امیر تھے (بیٹھے ہوئے) تھے۔ مروان کو بتایا گیا کہ سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: جو شخص حالت جنابت میں صبح کرے تو اس کا روزہ ٹوٹ جاتا ہے۔ مروان نے کہا: اے ابوعبدالرحمٰن! میں آپ کو قسم دیتا ہوں کہ آپ ام المؤمنین عائشہ اور ام المؤمنین ام سلمہ رضی اللہ عنہن کے پاس جا کر ان سے مسئلہ پوچھیں۔ پھر (میرے والد) عبدالرحمٰن اور میں دونوں گئے حتیٰ کہ سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا کے پاس پہنچے تو عبدالرحمٰن نے انہیں سلام کیا پھر کہا: اے ام المؤمنین! ہم مروان بن حکم کے پاس تھے کہ اسے بتایا گیا کہ ابوہریرہ فرماتے ہیں: جو شخص حالت جنابت میں صبح کرے تو اس کا روزہ ٹوٹ جاتا ہے۔ سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا نے فرمایا: اے عبدالرحمٰن! ایسی بات نہیں ہے جیسی کہ ابوہریرہ نے کہی ہے۔ کیا تم اس عمل سے منہ پھیرو گے جو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کرتے تھے؟ عبدالرحمٰن نے کہا: اللہ کی قسم! ہرگز نہیں تو انہوں نے فرمایا: میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم پر گواہی دیتی ہوں کہ آپ احتلام کے بغیر حالت جنابت میں صبح کرتے تھے پھر اس دن کا روزہ رکھتے تھے۔ پھر ہم وہاں سے نکل کر سیدہ ام سلمہ رضی اللہ عنہا کے پاس آئے اور ان سے یہ مسئلہ پوچھا: تو انہوں نے بھی وہی جواب دیا جو عائشہ رضی اللہ عنہا نے کہا تھا۔ پھر ہم وہاں سے نکل کر مروان بن حکم کے پاس آئے تو عبدالرحمٰن نے انہیں بتایا کہ عائشہ اور ام سلمہ رضی اللہ عنہن نے یہ فرمایا ہے۔ مروان نے کہا: اے ابومحمد! تمہیں قسم دیتا ہوں کہ میرے اس جانور پر سوار ہو جاؤ جو دروازے کے باہر (کھڑا) ہے۔ پھر تم سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ کے پاس جاؤ اور انہیں یہ بات بتاؤ، وہ عقیق کے مقام پر اپنی زمین میں (مصروف) ہیں۔ پھر (میرے والد) عبدالرحمٰن اور میں سوار ہو کر سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ کے پاس گئے تو کچھ دیر عبدالرحمٰن ان کے ساتھ باتیں کرتے رہے پھر انہیں یہ بات بتائی تو سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے فرمایا: مجھے (بذات خود) اس کا کوئی علم نہیں ہے، مجھے تو یہ بات ایک بتانے والے (یعنی سیدنا فضل بن عباس رضی اللہ عنہ) نے بتائی تھی۔
अबु बकर बिन अब्दुर्रहमान रहम अल्लाह से रिवायत है कि मैं और मेरे पिता दोनों मरवान बिन हकम के पास, जिन दिनों वह मदीने के अमीर थे (बैठे हुए) थे। मरवान को बताया गया कि हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं ! जो व्यक्ति संभोग के बाद अपवित्रता की हालत में सुबह करे तो उस का रोज़ा टूट जाता है। मरवान ने कहा ! ऐ अबु अब्दुर्रहमान ! मैं आप को क़सम देता हूँ कि आप उम्मुल मोमिनीन आयशा और उम्मुल मोमिनीन उम्म सलमा रज़ि अल्लाहु अन्हुन्न के पास जा कर उन से पूछें। फिर (मेरे पिता) अब्दुर्रहमान और मैं दोनों हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा के पास पहुंचे तो अब्दुर्रहमान ने उन्हें सलाम किया फिर कहा ! ऐ उम्मुल मोमिनीन ! हम मरवान बिन हकम के पास थे कि उसे बताया गया कि अबु हुरैरा कहते हैं ! जो व्यक्ति संभोग के बाद अपवित्रता की हालत में सुबह करे तो उस का रोज़ा टूट जाता है। हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा ने कहा ! ऐ अब्दुर्रहमान ! ऐसी बात नहीं है जैसी कि अबु हुरैरा ने कही है। क्या तुम इस अमल से मुंह फेरो गे जो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम करते थे ? अब्दुर्रहमान ने कहा ! अल्लाह की क़सम ! हरगिज़ नहीं तो उन्हों ने कहा ! मैं रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर गवाही देती हूँ कि आप एहतलाम हुए बिना संभोग के बाद अपवित्रता की हालत में सुबह करते थे फिर उस दिन का रोज़ा रखते थे। फिर हम वहां से निकल कर हज़रत उम्म सलमा रज़ि अल्लाहु अन्हा के पास आए और उन से ये पूछा ! तो उन्हों ने भी वही जवाब दिया जो आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा ने कहा था। फिर हम वहां से निकल कर मरवान बिन हकम के पास आए तो अब्दुर्रहमान ने उन्हें बताया कि आयशा और उम्म सलमा रज़ि अल्लाहु अन्हुन्न ने ये कहा है। मरवान ने कहा ! ऐ अबु मुहम्मद ! तुम्हें क़सम देता हूँ कि मेरे इस जानवर पर सवार हो जाओ जो दरवाज़े के बाहर (खड़ा) है। फिर तुम हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह के पास जाओ और उन्हें ये बात बताओ, वह अक़ीक़ के स्थान पर अपनी ज़मीन में हैं। फिर मेरे पिता अब्दुर्रहमान और मैं सवार हो कर हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह के पास गए तो कुछ देर अब्दुर्रहमान उन के साथ बातें करते रहे फिर उन्हें ये बात बताई तो हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा ! मुझे इस की कोई जानकारी नहीं है, मुझे तो ये बात एक बताने वाले (यानी हज़रत फ़ज़ल बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्ह) ने बताई थी।

تخریج الحدیث: «437- الموطأ (رواية يحييٰي بن يحييٰي 290/1، 291 ح 649، ك 18 ب 4 ح 11) التمهيد 39/22، 40 الاستذكار: 599، و أخرجه البخاري (1925، 1926) من حديث مالك به ورواه مسلم (1109/75) من حديث ابي بكر بن عبدالرحمٰن به.»

قال الشيخ زبير على زئي: سنده صحيح


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