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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
خرید و فروخت، کمائی اور زہد کا بیان
ख़रीदना, बेचना, कमाई और परहेज़गारी
729. محاقلہ اور مزابنہ
“ मुहाक़्लह और मुज़ाबनह ”
حدیث نمبر: 1069
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-" إنما يزرع ثلاثة: رجل له ارض، فهو يزرعها ورجل منح ارضا فهو يزرع ما منح ورجل استكرى ارضا بذهب او فضة".-" إنما يزرع ثلاثة: رجل له أرض، فهو يزرعها ورجل منح أرضا فهو يزرع ما منح ورجل استكرى أرضا بذهب أو فضة".
سیدنا رافع بن خدیج رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، وہ کہتے ہیں: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے محاقلہ اور مزابنہ سے منع کیا اور فرمایا: تین قسم کے لوگ کھیتی باڑی کرتے ہیں: (۱) وہ آدمی جو اپنی زمین میں کھیتی باڑی کرتا ہے، (۲) وہ آدمی، جس کو زمین عارضی طور پر عطیہ دی گئی، وہ اس میں کھیتی باڑی کرتا ہے اور (۳) وہ آدمی جس نے سونے یا چاندی کے عوض زمین کرائے پر لی ہو (وہ اس میں کھیتی باڑی کرتا ہے)۔
हज़रत राफ़ेअ बिन ख़दीज रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है, वह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुहाक़्लह और मुज़ाबनह से मना किया और फ़रमाया ! “तीन प्रकार के लोग खेती बाड़ी करते हैं। (1) वह आदमी जो अपनी ज़मीन में खेती बाड़ी करता है। (2) वह आदमी जिस को ज़मीन अस्थायी रूप से दान की गई, वह उस में खेती बाड़ी करता है। (3) वह आदमी जिस ने सोने या चांदी के बदले में ज़मीन कराए पर ली हो (वह उस में खेती बाड़ी करता है)।”
(गंदुम के बदले ज़मीन को कराए पर देने को मुहाक़्लह कहते हैं। मुज़ाबनह यह है कि दरख़्तों पर ताज़ा खजूरों को सूखे छोहारों के बदले ख़रीदा जाए।)
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1715

قال الشيخ الألباني:
- " إنما يزرع ثلاثة: رجل له أرض، فهو يزرعها ورجل منح أرضا فهو يزرع ما منح ورجل استكرى أرضا بذهب أو فضة ".
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‏‏‏‏أخرجه أبو داود (3400) والنسائي (2 / 149) وابن ماجة (2449) والطحاوي
‏‏‏‏في " المشكل " (3 / 284) من طريق أبي الأحوص حدثنا طارق بن عبد الرحمن عن
‏‏‏‏سعيد بن المسيب عن رافع بن خديج قال: " نهى رسول الله صلى الله عليه وسلم
‏‏‏‏عن المحاقلة والمزابنة، وقال ... " فذكره.
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد حسن رجاله كلهم ثقات رجال الشيخين وفي طريق ابن عبد الرحمن
‏‏‏‏- وهو البجلي الأحمسي - كلام لا يضر إن شاء الله تعالى. وللحديث شواهد كثيرة
‏‏‏‏في " الصحيحين " وغيرهما، وهو دليل صريح في جواز استئجار الأرض بالنقدين
‏‏‏‏للزراعة خلافا لبعضهم. ¤


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