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موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
غلام آزاد کرنے کا بیان
ग़ुलाम को मुक्त करना
2. رشتہ ولاء اسی کا ہے جو غلام آزاد کرے
“ वलाअ का रिश्ता उसी का है जो ग़ुलाम आज़ाद करे ”
حدیث نمبر: 520
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
470- وبه: انها قالت: جاءت بريرة فقالت: إني كاتبت اهلي على تسع اواق، فى كل عام اوقية، فاعينيني؛ فقالت عائشة: إن احب اهلك ان اعدها لهم ويكون لي ولاؤك فعلت فذهبت بريرة إلى اهلها فقالت لهم ذلك، فابوا عليها، فجاءت من عند اهلها ورسول الله صلى الله عليه وسلم جالس، فقالت: إني قد عرضت ذلك عليهم فابوا على إلا ان يكون الولاء لهم. فسمع ذلك رسول الله صلى الله عليه وسلم فسالها فاخبرته عائشة، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم ”خذيها واشترطي الولاء لهم فإنما الولاء لمن اعتق“ ففعلت عائشة. ثم قام رسول الله صلى الله عليه وسلم فى الناس فحمد الله واثنى عليه ثم قال: ”اما بعد فما بال قوم يشترطون شروطا ليست فى كتاب الله ما كان من شرط ليس فى كتاب الله فهو باطل وإن كان مئة شرط، قضاء الله احق، وشرط الله اوثق، وإنما الولاء لمن اعتق.“470- وبه: أنها قالت: جاءت بريرة فقالت: إني كاتبت أهلي على تسع أواق، فى كل عام أوقية، فأعينيني؛ فقالت عائشة: إن أحب أهلك أن أعدها لهم ويكون لي ولاؤك فعلت فذهبت بريرة إلى أهلها فقالت لهم ذلك، فأبوا عليها، فجاءت من عند أهلها ورسول الله صلى الله عليه وسلم جالس، فقالت: إني قد عرضت ذلك عليهم فأبوا على إلا أن يكون الولاء لهم. فسمع ذلك رسول الله صلى الله عليه وسلم فسألها فأخبرته عائشة، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم ”خذيها واشترطي الولاء لهم فإنما الولاء لمن أعتق“ ففعلت عائشة. ثم قام رسول الله صلى الله عليه وسلم فى الناس فحمد الله واثنى عليه ثم قال: ”أما بعد فما بال قوم يشترطون شروطا ليست فى كتاب الله ما كان من شرط ليس فى كتاب الله فهو باطل وإن كان مئة شرط، قضاء الله أحق، وشرط الله أوثق، وإنما الولاء لمن أعتق.“
اور اسی سند کے ساتھ (سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا سے) روایت ہے کہ بریرہ رضی اللہ عنہا آئی تو کہا: میں نے اپنی آزادی کے لئے اپنے مالکوں سے نو (9) اوقیہ چاندی پر تحریری معاہدہ کر لیا ہے، میں انہیں ہر سال ایک اوقیہ دوں گی، آپ اس سلسلے میں میری امداد کریں تو سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا نے کہا: اگر تمہارے مالک اس پر راضی ہوں تو میں انہیں نقد ادا کر دوں لیکن رشتہ ولاء میرا ہو گا۔ بریرہ اپنے مالکوں کے پاس گئی تو انہیں یہ بات بتائی۔ انہوں نے انکار کر دیا تو وہ اپنے مالکوں سے (عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہ کے پاس) آئی اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم (بھی وہاں) بیٹھے ہوئے تھے۔ اس نے کہا: میں نے انہیں یہ بات کہی ہے مگر انہوں نے انکار کر دیا ہے (اور کہا) کہ رشتہ ولایت انہی کا ہو گا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے جب یہ سنا تو پوچھا: (کیا بات ہے؟) پھر عائشہ رضی اللہ عنہا نے انہیں بتا دیا تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اسے لے لو اور ان کا رشتہ ولایت مان لو کیونکہ رشتہ ولایت تو اسی کا ہو گا جو آزاد کرتا ہے۔ تو عائشہ رضی اللہ عنہا نے اسی طرح کیا پھر رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم لوگوں میں کھڑے ہو گئے تو حمد و ثنا کے بعد فرمایا: اما بعد، کیا وجہ ہے کہ لوگ ایسی شرطیں مقرر کرتے ہیں جو کتاب اللہ میں نہیں ہیں، جو شرط کتاب اللہ میں نہیں ہے وہ باطل ہے اگرچہ وہ ایک سو شرطیں ہی کیوں نہ ہوں۔ اللہ کا فیصلہ سب سے زیادہ برحق ہے اور اللہ کی شرط سب سے زیادہ قوی ہے اور رشتہ ولاء تو اسی کا ہوتا ہے جو آزاد کرتا ہے۔
इसी सनद के साथ (हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा से) रिवायत है कि बरिरह रज़ि अल्लाहु अन्हा आई तो कहा ! मैं ने अपनी आज़ादी के लिए अपने मालिकों से नो (9) ओक़िया चांदी पर लिखत में समझौता कर लिया है, में उन्हें हर साल एक ओक़िया दूँगी, आप इस बारे में मेरी सहायता करें तो हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा ने कहा ! अगर तुम्हारे मालिक इस पर राज़ी हों तो मैं उन्हें नक़द अदा कर दूँ लेकिन रिश्ता वलाअ मेरा होगा। बरिरह अपने मालिकों के पास गई तो उन्हें ये बात बताई। उन्हों ने इन्कार कर दिया तो वह अपने मालिकों से (आयशा रज़ि अल्लाहु अन्ह के पास) आई और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (भी वहां) बैठे हुए थे। उस ने कहा ! मैं ने उन्हें ये बात कही है मगर उन्हों ने इन्कार कर दिया है (और कहा) कि रिश्ता विलायत उन्ही का होगा। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जब ये सुना तो पूछा ! (क्या बात है ?) फिर आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा ने उन्हें बता दिया तो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “इसे ले लो और उन का रिश्ता विलायत मान लो क्यूंकि रिश्ता विलायत तो उसी का होगा जो आज़ाद करता है।” तो आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा ने इसी तरह किया फिर रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम लोगों में खड़े हो गए तो ताअरीफ़ और सना के बाद फ़रमाया ! क्या वजह है कि लोग ऐसी शर्तें तय करते हैं जो अल्लाह की किताब में नहीं हैं, जो शर्त अल्लाह की किताब में नहीं है वह झूठ है चाहे वह एक सौ शर्तें ही क्यों न हों। अल्लाह का फ़ैसला सब से ज़्यादा ठीक या सच्चा है और अल्लाह की शर्त सब से ज़्यादा मज़बूत है और रिश्ता वलाअ तो उसी का होता है जो आज़ाद करता है।

تخریج الحدیث: «470- الموطأ (رواية يحييٰي بن يحييٰي 780/2، 781 ح 1559، ك 38 ب 10 ح 17) التمهيد 160/22، 161، الاستذكار: 1488، و أخرجه البخاري (2168، 2729) من حديث مالك به، ورواه مسلم (1445/7) من حديث هشام بن عروة به.»

قال الشيخ زبير على زئي: سنده صحيح


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