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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
خرید و فروخت، کمائی اور زہد کا بیان
ख़रीदना, बेचना, कमाई और परहेज़गारी
750. ابن آدم کی حرص
“ इन्सान का लालच ”
حدیث نمبر: 1104
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" لو كان لابن آدم واديان من مال (وفي رواية: من ذهب) لابتغى [واديا] ثالثا، ولا يملا جوف ابن آدم إلا التراب، ويتوب الله على من تاب".-" لو كان لابن آدم واديان من مال (وفي رواية: من ذهب) لابتغى [واديا] ثالثا، ولا يملأ جوف ابن آدم إلا التراب، ويتوب الله على من تاب".
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اگر ابن آدم کے پاس مال یا سونے کی دو وادیاں ہوں تو وہ ضرور تیسری وادی تلاش کرے گا، (سیدھی بات ہے کہ) مٹی ہی ہے جو ابن آدم کے پیٹ کو بھر سکتی ہے اور اللہ تعالیٰ اس کی توبہ قبول کرتے ہیں، جو اس کی طرف توبہ کرتا ہے۔ یہ حدیث سیدنا انس، سیدنا ابن عباس، سیدنا ابن زبیر اور سیدنا ابوموسی رضی اللہ عنہم سمیت صحابہ کرام کی ایک جماعت سے مروی ہے۔
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अगर इब्न आदम के पास माल या सोने की दो वादियां हों तो वह ज़रूर तीसरी घाटी तलाश करेगा, मिट्टी ही है जो इब्न आदम के पेट को भर सकती है और अल्लाह तआला उस की तौबा स्वीकार करते हैं, जो उस की ओर तौबा करता है।” यह हदीस हज़रत अनस, हज़रत इब्न अब्बास, हज़रत इब्न ज़ुबैर और हज़रत अबु मूसा रज़ि अल्लाह अन्हुम सहित सहाबा कराम के एक समूह से रिवायत है।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2907

قال الشيخ الألباني:
- " لو كان لابن آدم واديان من مال (وفي رواية: من ذهب) لابتغى [واديا] ثالثا، ولا يملأ جوف ابن آدم إلا التراب، ويتوب الله على من تاب ".
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‏‏‏‏أقول: هذا حديث صحيح متواتر عن النبي صلى الله عليه وسلم ، رواه عنه جماعة من
‏‏‏‏أصحابه بألفاظ متقاربة، وقد خرجته عن جماعة منهم في " تخريج أحاديث
‏‏‏‏مشكلة
‏‏‏‏الفقر " (18 / 14) منهم أنس عند الشيخين، وقد أخرجاه عن ابن عباس
‏‏‏‏أيضا، ومنهم ابن الزبير عند البخاري، وأبو موسى عند مسلم وغيره،
‏‏‏‏ويأتي لفظه، وغيرهم، وعددهم نحو عشرة، وفي الباب عن غيرهم تجد تخريجها
‏‏‏‏في " مجمع الزوائد " (7 / 140 - 141 و 10 / 243 - 245) ويأتي تخريج بعضها مع
‏‏‏‏سوق ألفاظها المناسبة لما أنا متوجه إليه الآن، وهو تحرير القول في الروايات
‏‏‏‏المختلفة في حديث الترجمة: هل هو حديث نبوي، أو حديث قدسي، أو قرآن منسوخ
‏‏‏‏التلاوة؟ فأول ما يواجه الباحث ويلفت نظره للتحري ثلاثة أخبار عن الصحابة:
‏‏‏‏الأول: قول ابن عباس في رواية عنه عقب حديثه المشار؟ إليه آنفا: " فلا أدري
‏‏‏‏من القرآن هو أم لا؟ ". الثاني: قول أنس نحوه في رواية لمسلم وأحمد.
‏‏‏‏الثالث: قول أبي بن كعب من رواية أنس عنه قال: " كنا نرى هذا من القرآن حتى
‏‏‏‏نزلت * (ألهاكم التكاثر) * ". أخرجه البخاري (6440) والطحاوي في " مشكل
‏‏‏‏الآثار " (2 / 420) . ولا يخفى على البصير أن القولين الأولين لا يدلان على
‏‏‏‏شيء مما سبقت الإشارة إليه، لأنه اعتراف صريح بعدم العلم، ولكنه مع ذلك فيه
‏‏‏‏إشعار قوي بأنه كان من المعلوم لدى الصحابة أن هناك شيئا من القرآن رفع ونسخ،
‏‏‏‏ولذلك لم يكتب في المصحف المحفوظ، فتأمل هذا، فإنه يساعدك على فهم الحقيقة
‏‏‏‏الآتي بيانها. وأما قول أبي: " كنا نرى.. "، فهو يختلف عن القولين الأولين
‏‏‏‏، من جهة أنه كان الحديث المذكور أعلاه من القرآن، إما ظنا غالبا راجحا،
‏‏‏‏وإما اعتقادا جازما،
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 962__________
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‏‏‏‏ذلك ما يدل عليه قوله: " نرى "، قال الحافظ (11 / 257)
‏‏‏‏: " بضم النون - أوله - أي نظن، ويجوز فتحها، من (الرأي) أي نعتقد ". قلت
‏‏‏‏: والثاني هو الراجح عندي، بل الصواب الذي لا يجوز سواه لما سيأتي عنه وعن
‏‏‏‏غيره من الصحابة الجزم به. ولا ينافيه قوله: " حتى نزلت * (ألهاكم التكاثر
‏‏‏‏) * "، لأنه يعني: فنسخت هذه تلك. إذا عرفت هذا فإليك الآن الأحاديث المؤكدة
‏‏‏‏لما دل عليه حديث أبي هذا: أن قوله: " لو كان لابن آدم واديان.. " إلخ كان
‏‏‏‏قرآنا يتلى، ثم رفع ونسخ. الحديث الأول: عن أبي بن كعب أن رسول الله صلى
‏‏‏‏الله عليه وسلم قال له: " إن الله أمرني أن أقرأ عليك القرآن. فقرأ عليه: * (
‏‏‏‏لمن يكن الذين كفروا) *، وقرأ فيها: " إن ذات الدين الحنيفية المسلمة، لا
‏‏‏‏اليهودية، ولا النصرانية، ولا المجوسية، من يعمل خيرا فلن يكفره ". وقرأ
‏‏‏‏عليه: " لو أن لابن آدم واديا من مال لابتغى إليه ثانيا، ولو كان له ثانيا
‏‏‏‏لابتغى إليه ثالثا.. " إلخ [قال: ثم ختمها بما بقي منها] ".
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